गाजीपुर । भांवरकोल ब्लॉक मुख्यालय स्थित सहरमाडीह स्थित ति़लोचन कीर्ति स्तंभ का द्वितीय स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर कुलदेवी की प्रार्थना एवं पूजन वैदिक मंत्रोचार के बीच किया गया।इसके बाद सभी कश्यप गोत्रीय भू ब्राह्मणों का एक सम्मेलन किया गया। सम्मेलन में बोलते हुए संरक्षक अरविंद राय ने कहा कि कीर्ति स्तंभ में बाली अन्न का प्रतीक है और फरसा का प्रतीक वीरता है।ब्राह्मण वही है जो समाज को किसान के रूप में अन्न विद्वता और आवश्यकता पड़ने पर शस्त्र भी उठा सके।उन्होंने कहा कि किनवार कीर्तिस्तम्भ से सभी लोगो को जोड़ा जाएगा और इस वंश का कल्याण किस प्रकार हो सके जिसके लिए सार्थक प्रयास किया जाएगा।उन्होंने कहा कि यह समाज एकजुट होकर गरीबो असहायों की हरसंभव मदद करेगा।वरिष्ठ संपादक के एन राय ने कहा कि त्रिलोचन दीक्षित गढ़वाल वंश के नवरत्नों में से एक थे काशी के दशाश्वमेघ घाट पर जो अश्वमेघ यज्ञ हुआ था उसके मुख्य पुरोहित थे।उन्ही के वंशज मूलन दीक्षित ने हेमचंद को हराया था जिसके बाद उन्हें सात सौ गांव मिले।इस अवसर प्रगतिशील किसान दिवाकर राय ,जितेंद राय ,पंकज राय को अंगवस्त्रम और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। ज्ञात हो कि कीर्ति स्तंभ किनवार वंश की नींव डालने वाले त्रिलोचन दीक्षित की स्मृति में बना है।इतिहास के अनुसार कर्नाटक के ब्राह्मण वंशीय अमोघ दीक्षित के पुत्र त्रिलोचन दीक्षित की इच्छा उत्तर भारत मे बसने की हुई।अपने पिता से आज्ञा लेकर वे इस सहरमाडीह में बसे जहाँ से कश्यप गोत्रीय किनवार वंश की नींव पड़ी इन्ही के वंशज बलिया बिहार आजमगढ़ में बसे है।गहरवार वंश के राजा जयचंद की पुत्री का विवाह इसी वंश में हुआ और उन्होंने इस वंश को 750 गांव देकर राजा की उपाधि प्रदान की। कार्यक्रम की अध्यक्षता किनवार समाज के अध्यक्ष संन्तोष राय एवं संचालन ब्यास मुनी राय ने किया एवं बिनय राय ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित दिया।इस मौके पर अध्यक्ष संतोष राय, मान्धाता राय, साहित्यकार रामबदन राय, मदन गोपाल राय, राजेंद्र राय,, शारदानंद राय,बीरेंद्र राय, बिजयशंकर राय, शेषनाथ राय, अविनाश प़धान, हिमांशु राय, बिनय राय, देवेन्द्र प्रताप सिंह, इंन्दा़सन राय, बिजेंद्र राय, कमलेश शर्मा, नागा दूबे, भगवती राय आदि लोग मौजूद रहे।