गाजीपुर । अयोध्या में श्री रामजन्म भूमि स्थल पर श्री रामलला का विश्व प्रसिद्ध नव्य, दिव्य एवं भव्य मन्दिर निर्माण भारत की राष्ट्रीय चेतना, एकता, समन्वय, आस्था एवं स्वाभिमान का प्रतीक है। भारत सहित समस्त विश्व के इतिहास में 22 जनवरी 2024 का दिन स्वर्णाक्षरों में संजोया जाएगा। भारत के राष्ट्रीय चेतना स्थल के रूप में चर्चित एवं विश्व विख्यात ‘अयोध्याधाम’ में श्री राम जन्मभूमि पर नव्य, दिव्य एवं भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण का मार्ग सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के पश्चात ही प्रशस्त हो गया था, जिसका भव्य शुभारम्भ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर-कमलों द्वारा 05 अगस्त 2020 को सम्पन्न हुई थी।
भारतीय राष्ट्रजीवन के परिचायक और सम्पूर्ण मानवता को राक्षसी आतंकवाद से मुक्ति दिलाने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मभूमि पर एक नव्य, दिव्य एवं भव्य मन्दिर के निर्माण से करोड़ों हिन्दुओं की चिरप्रतीक्षित अभिलाषा साकार हो रही है।श्री रामजन्म भूमि पर मन्दिर निर्माण करोड़ों हिन्दुओं सहित उन सभी धर्म एवं जातियों के लिए आस्था का विषय है, जिन्हें आदि काल से सनातनी परंपरा से में विश्वास और श्रद्धा है। लगभग 500 वर्षों के बाद रामलला के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा लाखों कारसेवकों के मंदिर बनाने के लेकर देखे गए सपने का सच होने जीवन्त उदाहरण जैसा है।श्री राम किसी एक जाति, धर्म व क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं करते है, बल्कि वह एक शक्तिशाली एवं संगठित राष्ट्र जीवन के प्रतीक हैं। घर, परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व में मर्यादाओं के नए कीर्तिमान स्थापित करने के कारण ही उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। उनके जन्मभूमि पर बने नव्य, दिव्य एवं भव्य मंदिर राष्ट्र मन्दिर के रूप में देश से लेकर विदेश तक मर्यादा, आपसी समन्वय और स्वाभिमान का संदेश देगा।यह मंदिर भारत में सभी जातियों, पंथों एवं धर्मों को जोड़कर सभी भारतीयों को प्रेम की माला में गूथने का काम करेगा। इसके साथ ही श्री रामलला का मन्दिर विश्व में आपसी एकता, समन्वय , आस्था, मर्यादा एवं स्वाभिमान स्थापित करने का संदेश देगा।प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय प्राचार्य स्नातकोत्तर, महाविद्यालय गाजीपुर ।