गाजीपुर । सादात एन्टी करप्शन की टीम ने सादात थाने पर तैनात उपनिरीक्षक आफताब अहमद को मंगलवार की दोपहर करीब दो बजे थाने के अंदर ही रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ धर दबोचा और गिरफ्तार कर अपने साथ लेकर बहरियाबाद थाने चले गए। यहां न सिर्फ पकड़े गए एसआई के खिलाफ बल्कि, सादात के थानाध्यक्ष आलोक त्रिपाठी के खिलाफ भी एंटी करप्शन टीम के प्रभारी व निरीक्षक अजीत सिंह ने तहरीर देकर उन्हें भी इसमें आरोपी बनाया है। एसआई के पकड़े जाने व थानाध्यक्ष को आरोपी बनाए जाने का मामला उजागर होते ही महकमे में हड़कंप मच गया। पकड़ा गया दारोगा पहली बार सादात थाने पर बतौर हेड मुहर्रिर (दीवान) फरवरी 2021 में तैनात हुआ था और यहीं प्रमोशन पाकर उप निरीक्षक बना था। कुछ ही समय पूर्व विभाग से पदोन्नति मिलने के बाद सैदपुर के तत्कालीन सीओ विजय आनंद शाही ने कंधे पर स्टार लगाया था।
पूर्व में मीरजापुर के चुनार स्थित सरैयां सिकंदरपुर निवासी हेड कांस्टेबल आफताब अहमद सादात थाने पर बतौर मुंशी काम करते थे। बीते दिनों विभाग ने तय समय पूर्ण होने पर आफताब को प्रोन्नति देते हुए उपनिरीक्षक बनाया था। जिसके बाद आफताब ने ट्रेनिंग पूरी की और उन्हें पहली पोस्टिंग भी सादात थाने पर ही मिल गयी। उस समय सैदपुर के सीओ रहे विजय आनंद शाही ने उनके कंधे पर स्टार लगाया था। बताया जा रहा है कि बीते महीनों आयी सूची में उनका स्थानांतरण भी करण्डा के लिए हुआ था। लेकिन उस वक़्त वो रिलीव नहीं हुए, जिससे संभवतः स्थानांतरण रूक गया था। इस बीच बीते 23 फरवरी को सादात थाने में एक लावारिस कार को दाखिल किया गया था। उक्त कार को रिलीज कराने के लिए एसडीएम के यहां इसकी आख्या भेजने के लिए शिकायतकर्ता संजय यादव पुत्र हरिश्चंद्र यादव निवासी गजहड़ा थाना मुबारकपुर आजमगढ़ आया और एसआई आफताब से कहा। आरोप है कि एसआई ने थानाध्यक्ष से मिलकर इसके एवज में 25 हजार रूपए की रिश्वत मांगी। जिसके बाद पीड़ित ने एन्टी करप्शन यूनिट का सहारा लिया और शिकायत की। जिसके बाद टीम हरकत में आई और पीड़ित को केमिकल लगे हुए नोट देकर जाल बिछा दिया। इसके बाद सादात थाने के अंदर जैसे ही पीड़ित ने एसआई को नोट दिया, वहां सादे कपड़ों में मौजूद टीम ने उसे धर दबोचा और हाथ धुलाया तो वो लाल हो गया। जिसके बाद एसआई को गिरफ्तार कर टीम बहरियाबाद थाने पहुंची और वहां एसआई सहित थानाध्यक्ष आलोक त्रिपाठी के खिलाफ तहरीर दिया। इसके बाद एसआई को लेकर वाराणसी चली गयी। वहीं इस घटना का पता चलने के बाद हर कोई थू-थूकर रहा था। उनका कहना था कि अभी पहली पोस्टिंग में ही ये हाल है तो आगे क्या करते। बता दें कि आलोक त्रिपाठी कुछ ही समय पूर्व जिले के पुलिस अधीक्षक के पीआरओ रह चुके हैं। गिरफ्तार करने वाली टीम में निरीक्षक अजीत सिंह सहित नीरज सिंह, योगेंद्र कुमार, मैनेजर सिंह, प्रमोद कुमार, मुख्य आरक्षी शैलेंद्र राय, विशाल उपाध्याय, सुमित भारती, विनोद कुमार, आरक्षी आशीष शुक्ला, अजय यादव, मिथिलेश यादव, मुख्य आरक्षी व चालक अश्वनी पांडेय, आरक्षी चालक विनय कुमार आदि रहे।