गाजीपुर । लोकसभा चुनाव की रणभेरी बन चुकी है गाजीपुर लोकसभा 75 में मतदान 1 जून यानी सातवें चरण में होगा गाजीपुर में कुल 2070000 लगभग मतदाता आगामी संसद का भविष्य तय करेंगे, जिसमें आधी आबादी यानी महिलाओं का भी एक बड़ा योगदान भी शामिल होगा। गाजीपुर में पिछली बार गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी बसपा के टिकट से चुनाव जीते थे और भाजपा के तत्कालीन सीटिंग एमपी अफजाल अंसारी से चुनाव हार गए थे, हालांकि मनोज सिन्हा का 2014 के सापेक्ष 2019 लोकसभा चुनाव में एक लाख से ज्यादा वोट बढ़ा था। इसके पीछे लोगों ने ये माना था कि जातिगत समीकरण गाजीपुर और आसपास की लोकसभा चुनावों में खासा असर रखते हैं।
इस बार 2024 लोकसभा चुनावों में सपा ने सीटिंग बीएसपी एमपी अफजाल अंसारी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है और भाजपा ने भी अभी हाल में मनोज सिन्हा की जगह उनके स्वजातीय और करीबी पारस नाथ राय को प्रत्याशी घोषित कर दिया है, हालांकि पारस नाथ राय ने अपने इंटरव्यू के दौरान साफ कहा था कि वे संघ के पुराने कार्यकर्ता है और लगभग 50 वर्षों से संघ द्वारा जो भी दायित्व मिलता है उसे वे पूरा करते हैं और जनता के बीच सेवा कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि वे न टिकट मांगे थे और न ही वे टिकट की रेस में थे, लेकिन उन्हें भाजपा ने टिकट दिया है तो वे मजबूती से संगठन के बल पर चुनाव लडेंगे।
वहीं बसपा ने अभी प्रत्याशी नहीं दिया है और उसके प्रत्याशी पर सबकी नजर है, समाजवादी पार्टी से अफजाल अंसारी ने बतौर प्रत्याशी पिछले दो महीने से पूरी लोकसभा में घूमना भी शुरू कर दिया है और उनके छोटे भाई पूर्व विधायक और गैंगस्टर रहे मुख्तार अंसारी की मौत के बाद से वे क्षेत्र में तो नहीं दिख रहे हैं लेकिन उनके यहां रोज मिलने वालों की भीड़ जरूर विपक्षी खेमे के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। गाजीपुर में जानकर ये मानते है कि बदले परिसीमन में जातिगत आंकड़े यहां चुनावों में प्रभावी होते हैं और भाजपा इस बार इस मिथक को तोड़ना चाहती है। आइए देखते हैं गाजीपुर लोकसभा का एक अनुमानित जातिगत आंकड़ा जो जानकर बताते हैं।
गाजीपुर लोकसभा 75
5 विधानसभा में कुल वोट : 20.70 लाख लगभग…
*अनुमानित जातिगत आंकड़ा…*
यादव 4.10 lakh
दलित 4 lakh
मुस्लिम 2.70 lakh
राजपूत 2.70 lakh
कुशवाहा 1.50 lakh
बिंद 1.25 lakh
अन्य पिछड़े 1.50
ब्राह्मण 1.50 lakh
भूमिहार 0.35
वैश्य अगड़े 0.30
वैश्य पिछड़े 1.00
अन्य 20 हजार
लगभग…
अब गाजीपुर लोकसभा की बात करें तो कम्युनिस्ट पार्टी के कामरेड सरजू पांडेय और कांग्रेस के जैनुल बशर यहां से लगातार दो बार सांसद रहे हैं लेकिन वो परिसीमन आज से भिन्न था, आज के परिसीमन में लगातार दो बार विजई होना थोड़ा टेढ़ी खीर बताई जा रही है, अब देखना है कि आगे बसपा का उम्मीदवार कैसा आता है और उसका प्रभाव क्या होता है, क्यूंकि दलित मतदाता जिधर जाएगा वो भारी माना जा रहा है और अगर दलित के साथ कुशवाहा भी सट गया तो वो जिधर जाएगा उसके जीत की राह आसान मानी जा रही है।