गाजीपुर । डिहवा गांव के दुर्गा मंदिर पर चल रहे भागवत कथा में अयोध्या से पधारे परमसंत शिवराम दास उफऀ फलाहारी बाबा ने कथा में कहा कि जगत मे त्यागियो का इतिहास ही स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है संग्रही का नहीं। श्रीमद् भागवत कथा में रन्ति देव की कथा सुनाते हुए फलाहारी बाबा ने कहा कि संग्रह परिग्रह ममता से रहित जीवन धैर्यवान जीवन रंति देव का था उनके यहां से कोई व्यक्ति भुखा नहीं जाता था सारा धन बांटने में समाप्त हो गया खाने के लाले पड़ गए 49 दिन भूखे रहने पर कहीं से खीर पूरी हलवा खाने को मिला। कृत पायस संभाव तोयं प्रात रूप स्थितम्। खाने के लिए बैठे ही थे कि एक भूखा ब्राह्मण आ गया अतिथि देवो भव समझकर उसको भरपेट खाना खिलाए शेष बचे हुए भोजन बैठकर करने लगे तो एक शुद्र का आगमन हुआ अतिथि समझकर पुन:शुद्र को खाना खिलाए शेष बचे हुए भोजन करने के लिए बैठे तो एक कुत्ता आ गया कुत्ता को सारा भोजन खिला दिए अब केवल जल ही बच गया था। अभी जल पीने ही वाले थे की चांडाल आकर खड़ा हो गया प्यासे चांडाल को पानी देते ही भगवान प्रकट हुए परमार्थ कभी व्यर्थ नहीं जाता। स्वार्थ पूर्ण प्रेम कब पलट जाएगा कुछ कहा नहीं जा सकता है कंस भी अपनी बहन देवकी से प्रेम करता था लेकिन आकाशवाणी होते ही प्रेम नफरत में बदल गया। देवकी वासुदेव अग्रसेन तीनों को कारागार में बंद कर दिया। देवकी के 6 पुत्रों की हत्या करने के उपरांत धरती आकुलऔर व्याकुल हो गई अश्रु पुरित नेत्रों से भगवान को पुकारती हुई कहीं की जिस पत्नी का पति विदेश चला जाता है दुष्ट लोग उसके पत्नी को सताया करते हैं। हे नारायण मैं भी दुस्टो के द्वारा सताई जा रही हूं कृपा करिए। जिसका मन विशुद्ध है वही वासुदेव और जिसकी बुद्धि देवमयी होती है उसी का नाम देवकी है देवमई बुद्धि और विशुद्ध मन के संयोग से ईश्वर का जन्म अवतार होता है । भागवत कथा में कृष्ण का जन्मोत्सव बाद ही धूमधाम से मनाया गया मुख्य जजमान राधे श्याम मिश्रा सब पत्नी नंद यशोदा बनकर मंचासीन ब्रह्मणवादकों को अंग वस्त्र से सम्मानित करके दक्षिण दिए कथा में गांव के ही नहीं आसपास के गांव क्षेत्र से भी हजारों नर नारी आकर फलाहारी बाबा के मुखारविंद से कथा सुनकर आनंद की अनुभूति कर रहे हैं। सुकून और शांति का आभास हो रहा है।