गाजीपुर । मुहम्मदाबाद क्षेत्र के बैजलपुर एक निजी पैलेस में बुधवार को देर शाम किसान अन्दोलन के जनक स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी की 74 वीं पुण्यतिथी पर स्वामी सहजानन्द सरस्वती स्मृति न्यास की ओर से आयोजित स्वामी जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पाजली अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया गया। इस मौके पर इस अवसर पर आयोजित बिचार गोष्ठी ” वर्तमान राजनीतिक,समाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य में ब़म्हर्षि समाज के समक्ष चुनौतियां एवं समाधान ” बिषय गोष्ठी में बिषय रखते हुए राजेश राय ने कहा कि ब़म्हर्षि समाज एक हजार बर्षों तक समाज का पोषक थे। किंन्तु कुछ काल खंड बीतने का बाद हमें शोषक कहकर हमारी छबि को बिगाड़ने का कुत्सित प्रयाश किया जा रहा है। इससे हमें अपने को सावधान होकर पुनः स्थापित करने के लिए हमें आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की जरूरत है। इस मौके पर शशांक राय कहा कि स्वामी सहजानंद जी किसान को धरती का साक्षात भगवान मानकर किसान हितों हेतु सृजनात्मक एवं संघर्षशनातक कार्य को ही साधना मानकर आजीवन संघर्ष किया । किसान आन्दोलन में स्वामी जी के मूल सिद्धांत अधिकार के प्रति जागरूक कर पीड़ित लोगों को अपने हक अधिकार की रक्षा हेतु स्वतः तैयार करके संयुक्त परिवार की अवधारणा पर पुनः स्थापित कर अपने परिवार को जोड़कर अधिकार की रक्षा लायक बनाना ही स्वामी जी के प्रति सच्ची श्रद्धान्जली है। इस मौके पर बरिष्ठ पत़कार श्रीराम राय ने बताया कि स्वामी सहजानन्द सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के देवा गाँव में महाशिवरात्री के दिन सन 1889 में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था , घर के बाद गाजीपुर ,काशी ,और दरभंगा मे शिक्षा हुई, नव युवा काल मे ही वे संन्यास ले लिये । कुछ समय कांग्रेस का कार्य किये, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी स्वामीजी के विचार से सहमत होकर स्वामी से लगातार परामर्श लेते थे, महात्मा गाँधी का विरोध कर स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ाने और उन्हे जितवाने में महत्वपूर्ण भूमिका का भी निर्वहन किये थे । स्वामी जी बिहार के बक्सर होते हुये पटना आये और बिहटा मे सीताराम आश्रम मे रहने लगे । 1929 में किसान महासभा का गठन किये और किसानों को हक अधिकार दिलवाने के लिए किसानों को लामबन्द कर आजीवन संघर्ष किये । आजादी के अन्दोलन में किसानों – मजदूरों को जोड़कर देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किये, आजादी के अन्दोलन में अनेकों बार जेल गये ।इस मौके पर किसान सभा का कार्य करते हुये 26जून 1950 को मुजफ्फपुर मे देहान्त हो गया । सहजानन्द सरस्वती जी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है । स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी अद्भुत प्रतिभा के धनी थे , उनका मानना था कि रोटी देने वाला किसान भगवान से बड़ा है, किसान ही धरती का साक्षात भगवान है इस लिये किसान हित में कार्य को साधना मानकर आजीवन किसान हितों हेतु संघर्ष करते रहे, स्वामी जी संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे , अनेको किताबों की रचना करने वाले महान लेखक, पत्रकार, समाजसुधारक, आजादी के अन्दोलन के नायक , बुद्धिजीवी, क्रान्तिकारी, इतिहासकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आदि शंकराचार्य सम्प्रदाय के दसनामी संन्यासी अखाड़े के दण्डी संन्यासी स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी की प्रतिभा समाज को हमेशा दिशा देती रहेगी, ऐसे महान सन्त की पुण्यतिथि पर पुरे देश के हम सभी किसान मजदूर कोटि-कोटि नमन करते है । श्रद्धांजलि सभा में मौजूद लोगों ने स्वामी सहजानंद सरस्वती को * भारत रत्न * देने की मांग की।
श्रद्धांजलि देने वाले प्रमुख रूप से प्रो0 रामाश्रय राय, रामनाथ ठाकुर, शशिधर राय, शेषनाथ राय, जिला पंचायत प्र0 अनिल राय, विश्वमोहन शर्मा, पारसनाथ राय, रणविजय राय, श्रीराम शर्मा कमलेश , राजेश राय बागी,शशांक राय, कृष्णानंद राय, राय, कबिन्द़ राय,मारूति कुमार राय एडवोकेट, हेमनाथ राय, विमलेश राय, रविशंकर राय संजू, मुक्तिनाथ राय, दिनेश शर्मा, विनय राय, भारतेन्दु शर्मा, राजेश राय पिंन्टू, लोग शामिल थे। अध्यक्षता रामाश्रय राय एवं संचालन मारूति राय ने किया।अन्त में न्यास के प़वंधक विनोद राय ने सभी आगंतुकों का आभार जताया।
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