गाजीपुर: गाजीपुर जिले की जंगीपुर विधानसभा अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बिशुनपुर पिपरही , ताजपुर, मदारपुर, अंन्धऊ के लोग सचिव नीतू पाण्डेय की कार्यप्रणाली से परेशान हैं। ग्रामीणों का आरोप है की सचिव ग्रामीणों को शासकीय योजनाओं की जानकारी नहीं देते।
पंचायत सचिव नीतू पाण्डेय कई महीनो से नदारद हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यहां के ग्रामीणों को जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र , परिवार रजिस्टर के अलावा अन्य कार्यों के लिए भटकना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर यहां सचिव की अनुपस्थित व सरपंच की उदासीनता के चलते पिछले कई माह से ग्रामीण अपने कार्यों को लेकर पंचायत भवन का चक्कर काट रहे है। ग्रामीणों को केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए भटकना पड़ रहा है।
जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्टर सहित अन्य कार्यों को लेकर ग्रामीण पंचायत भवन पहुंचते हैं, मगर यहां पंचायत सचिव नीतू पाण्डेय के मनमाने रवैये से ग्रामीणों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। यहां विगत कई माह से अपने क्षेत्र बिशुनपुर पीपरही से नदारद है। यहां पंचायत सचिव के मनमाने रवैये के चलते ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। पंचायत भवन में सचिव के न मिलने पर सचिव को उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क करने पर मोबाइल हमेशा बंद रहता हैं। चारों ग्राम पंचायत सचिवालय पर लिखा हुआ मोबाइल नंबर संपर्क करने पर रेवतीपुर विकासखंड के एडीओ पंचायत फोन रिसीव करते हैं।
सचिव नीतू पांडे के बारे में जानकारी लेने पर बताते हैं की वह हमारी भाभी है।
जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्टर सहित अन्य कार्यों की जानकारी लेने पर चुप्पी साथ लेते हैं और कहते है कि पहले रहे सचिव ने जन्म मृत्यु और परिवार रजिस्टर अभी तक नहीं दिए हैं।
आपको बता दें कि ग्राम पंचायत सचिव कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए ज़िम्मेदार होता है. यहां तो ग्रामीणों को सरकारी शासकीय कार्यों का हवाला देकर औपचारिकता निभा दी जाती है। वहीं लगातार सचिव द्वारा ग्रामीणों से दुर्व्यवहार किया जा रहा है। सचिव के मनमाने रवैये से ग्रामीण परेशान हैं। वही सरपंच की उदासीनता के चलते ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सूत्र बताते हैं कि सचिव नीतू पाण्डेय ग्राम सभा अंन्धऊ, मदारपुर, ताजपुर, बिशनपुर पिपरही अपने चारों ग्राम पंचायत से नादारद रहती हैं। वही विकासखंड एडीओ पंचायत रेवतीपुर के द्वारा इनका काम काज घर बैठे पूर्ण कर दिया जाता है जिसके चलते वह अपने ग्राम पंचायत से नदारद रहती हैं। वैसे इन पर कहावत भी सटीक बैठती है कि सैया भए कोतवाल तो डर काहे का।
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