गाजीपुर । हिंदी के सुपरिचित साहित्यकार और मनिहारी क्षेत्र के ग्राम पंचायत बखरा निवासी डॉ०विजयानन्द को हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन,नीदरलैंड्स ने अपने सर्वोच्च हिंदी सेवी ‘वैश्विक साहित्य भूषण सम्मान ‘ से सम्मानित किया है। दीर्घकालीन वैश्विक हिंदी सेवा के लिए सम्मानित होने वाले डॉ. विजयानन्द वर्तमान में वैश्विक हिंदी महासभा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।ज्ञात हो कि डॉ. विजयानन्द विभिन्न संस्थाओं में सचिव, महामंत्री, निदेशक- रिसर्च फाउंडेशन, सं.इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्तविश्वविद्यालय, नई दिल्ली, कार्यकारी अध्यक्ष- अखिल भारतीय साहित्य परिषद, प्रयागराज, अध्यक्ष -काशी प्रांत, राष्ट्रीय अध्यक्ष- विश्व हिंदी महासभा, नई दिल्ली जैसे पदों पर कार्य कर चुके हैं। उन्होने हिन्दी साहित्य की लगभग सभी विधाओं में ५४ मौलिक, अनुदित,संपादित कुल ८४ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने ‘ वैश्विक साहित्य ‘ त्रैमासिक का लगभग दस वर्षों तक संपादन किया है। अमेरिका के रामकाव्य पीयूष, कृष्णकाव्य पीयूष सहित, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया,जापान सिंगापुर , मारीशस , मलेशिया, फिजी आदि अनेक देशों के काव्य संग्रहों,पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं।भारत के कई विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर एम०फिल, पीएचडी का शोध कार्य हो चुका/ चल रहा है।वे अमेरिकन रिसर्च इंस्टीट्यूट के दो बार सलाहकार रहे।भारत सरकार,उत्तर प्रदेश सरकार सहित, देश-विदेश की अनेक संस्थाओं द्वारा अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘ हरिऔध ‘ पुरस्कार (मऊ,आजमगढ़), शकुंतला सिरोठिया बाल साहित्य पुरस्कार (इलाहाबाद), सूचना प्रसारण मंत्रालय,भारत सरकार का सम्मान,मोहन राकेश नाटक पुरस्कार ,बाल साहित्य सम्मान ( उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ ) ,भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान (हिंदुस्तानी एकेडमी, प्रयागराज), हिंदी अकादमी,मुंबई का शिक्षारत्न सम्मान, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, अखिल भारतीय हिंदी महासभा, कर्नाटक , विश्व हिंदी महासभा, नईदिल्ली, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, विधानसभा, लखनऊ का पराग पुरस्कार, सयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय, जापान, नेपाल सरकार आदि सहित कई दर्जन सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। सन् 2001 में अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टीट्यूट के रिसर्च बोर्ड के सलाहकार पद पर रहकर कई वर्षों तक सराहनीय कार्य किया था। वैश्विक हिंदी महासभा, अखिल भारतीय हिंदी परिषद, भारत के लगभग सभी प्रांतों के पदाधिकारियों, बुद्धिजीवियों तथा साहित्यकारों ने ने उन्हें इस सम्मान के लिए बधाई दी है।