प्रेम और आस्था भक्ति के कारकों में मुख्य कारक है – स्वामी जय गुरुबंदे

avinash yadav

गाजीपुर। जय गुरुबंदे आश्रम नगवा चौकिया विकासखंड गाजीपुर सदर जनपद गाजीपुर उत्तर प्रदेश में तीन दिवसीय 18 अप्रैल से 20 अप्रैल तक सत्संग, भजन एवं ध्यान योग का कार्यक्रम चल रहा है । जय गुरुबंदे स्वर योग साधना के मीडिया प्रभारी शशि दास ने विज्ञप्ति जारी करके बताएं कि तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन सुबह एवं दोपहर के बेला में स्वामी जय गुरुबंदे जी ने आस्थावान/ श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बताएं कि इस संसार में ईश्वर के उपासना के चार कारक है- रूढ़िवाद, भय, सुख समृद्धि की लालसा, प्रेम और आस्था । इन कारकों में प्रेम और आस्था भक्ति का ऐसा कारक है जो समस्त विकारों से दूर है ,जो की सर्वोत्तम है । रूढ़िवाद ऐसी परंपरा है जो सदियों से चल आ रहा है जो तर्क विहीन है । भय या डर से भी ईश्वर को लोग मानते हैं परंतु इससे ईश्वर का दीदार नहीं हो सकता। समाज में इंसान सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी ईश्वर की उपासना करते हैं परंतु इससे जीव की मुक्ति संभव नहीं है। इन समस्त कारकों में प्रेम और आस्था पूर्वक निस्वार्थ युक्त ईश्वर की भक्ति सद्गुरु के द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। परम संत स्वामी जय गुरूबंदे जी राखी में कहते हैं की-
रीति रिवाज जो त्याग दे , ऐसा जग में कोय।
संत कृपा से जय गुरुबंदे, हंस वही तो होय।।
विज्ञप्ति के माध्यम से ज्ञातव्य हुआ कि तीन दिवसीय कार्यक्रम के तीसरे दिन रविवार को सुबह बेला में परम संत स्वामी जय गुरुबंदे जी द्वारा नामदान दिया जाएगा। जिसमें हजारों हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहेंगे।परम संत स्वामी जय गुरुबंदे जी द्वारा देश-विदेश में दर्जनों आश्रम स्थापित किया गया है जहां पर नियमित सत्संग, भजन ,ध्यान योग कार्यक्रम संचालित होता है एवं आयुर्वेद द्वारा बेसर विधि से निशुल्क इलाज भी किए जाते हैं।

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