धर्म – GHAZIPUR SAMACHAR http://ghazipursamachar.com Your Daily Dose of Ghazipur News Sat, 21 Sep 2024 08:27:50 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी और मछली के तेल म‍िलाने पर भड़के साधु-संत, साजिश का आरोप http://ghazipursamachar.com/%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%b0%e0%a5%81%e0%a4%aa%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%ae%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%ae/ http://ghazipursamachar.com/%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%b0%e0%a5%81%e0%a4%aa%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%ae%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%ae/#respond Sat, 21 Sep 2024 08:27:48 +0000 https://ghazipursamachar.com/?p=21052 आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी और मछली का तेल पाए जाने को लेकर संतों-महंतों का गुस्‍सा फूटा है। महंतों ने इसे श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ और मंदिरों को प्रतिष्ठा को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास माना है। ऐसा करने वालों को चिह्नित करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की है।

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तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी और मछली के तेल म‍िलाने पर भड़के साधु-संत, साजिश का आरोप 2

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी और मछली का तेल पाए जाने को संतों-महंतों ने गंभीरता से लिया और इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। महंतों ने इसे श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ और मंदिरों को प्रतिष्ठा को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास माना है। ऐसा करने वालों को चिह्नित करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की है। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लेने के लिए गोरखनाथ मंदिर आए जब देश के कुछ प्रमुख संतों से जागरण ने इस प्रकरण को लेकर बात की तो उनका आक्रोश फूट पड़ा।

डॉ. राम विलास वेदांती (पूर्व सांसद, वशिष्ठ भवन, हिंदू धाम, अयोध्या) ने कहा क‍ि प्रसाद में पशुओं की चर्बी और मछली का तेल मिलने की घटना संतों को आक्रोशित करने वाली है। यह केवल भक्तों के साथ ही नहीं, बल्कि भगवान के साथ भी विश्वासघात है। यह किसी साजिश के तहत किया गया है। साजिश का पर्दाफाश होना चाहिए और जो भी इसका दोषी पाया जाए, उसे ऐसी सजा दी जाए कि आगे से कोई ऐसा करने की हिम्मत न जुटा सके।

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“गणेश चतुर्थी: बप्पा के पूजन के साथ करें सही परिक्रमा, जानें इससे मिलने वाले आशीर्वाद” http://ghazipursamachar.com/%e0%a4%97%e0%a4%a3%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%9a%e0%a4%a4%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a5%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%aa%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%9c/ http://ghazipursamachar.com/%e0%a4%97%e0%a4%a3%e0%a5%87%e0%a4%b6-%e0%a4%9a%e0%a4%a4%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a5%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%aa%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%9c/#respond Sat, 07 Sep 2024 08:44:28 +0000 https://ghazipursamachar.com/?p=20272 गणेश चतुर्थी का उत्सव देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. इस शुभ समय पर सभी लोग बप्पा के दर्शन और पूजन करते हैं. लेकिन इसके साथ ही गणेश जी परिक्रमा भी जरूप करें.

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"गणेश चतुर्थी: बप्पा के पूजन के साथ करें सही परिक्रमा, जानें इससे मिलने वाले आशीर्वाद" 4

गणेश जी का आगमन हो चुका है, इस समय बप्पा के दर्शन के लिए लोग मंदिरों और पंडालों में लंबी कतारें लगाते हुए दिखेंगे. हम दर्शन तो कर लेते है लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण बात उस पर दृष्टि नहीं डालते, वह है ‘परिक्रमा.

गणेश चतुर्थी का पर्व हिंदू धर्म में बहुत खास होता है. इसे पर्व के साथ ही पूरे 10 दिनों तक उत्सव के रूप में मनाया जाता है और फिर बप्पा का विसर्जन किया जाता है. इस वर्ष गणेश चतुर्थी का आरंभ 7 सितंबर से हो रहा है और 17 सितंबर को गणेश विसर्जन किया जाएगा.

10 दिवसीय गणेशोत्सव में भक्त बप्पा के दर्शन और पूजन करते हैं. इसके लिए सभी पंडालों और मंदिरों में पहुंचते हैं. लेकिन आमतौर पर हम गणेश जी की परिक्रमा पर ध्यान नहीं देते, जोकि सबसे महत्वपूर्ण है.  

प्राचीन सनातन धर्म में परिक्रमा करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. आप जब गणपति के दर्शन को जाए तो परिक्रमा करना ना भूले. लेकिन प्रश्न यह उठता है कि भगवान गणेश की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए. इसका उत्तर शास्त्रों में वर्णित है, चालिए शास्त्रों (Shastra) के प्रमाणों को खंगालते हैं.

“बह्वच परिशिष्ट” के अनुसार गणेशजी की एक परिक्रमा करनी चाहिये-

‘एकां विनायके कुर्यात्’

 अर्थ:-भगवान विनायक की एक बार परिक्रमा करनी चाहिए.

किंतु “ग्रन्थान्तर” के अनुसार-

‘तिस्त्रः कार्या विनायके ॥’

इस वचन के अनुसार तीन परिक्रमाओं का विकल्प भी आदरणीय है.

नारदपुराण (पूर्वार्ध अध्याय क्रमांक 13) में भी तीन बार परिक्रमा करने का वर्णन है –

’तिस्रो विनायकस्यापि’

अर्थ:- भगवान विनायक की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए.

देखा जाए तो तीन परिक्रमा पे अधिक बल दिया गया है, क्योंकि तीन परिक्रमा का वर्णन अधिक बार आया है. अगर समय का अभाव है या कोई अन्य कारणों से तीन परिक्रमा ना हो पाएं तो एक परिक्रमा भी की जा सकती है.

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