किनवार बंश का गौरवशाली इतिहास – इजि0 अरविन्द राय

Sonu sharma

गाजीपुर । भांवरकोल ब्लाक मुख्यालय स्थित सहरमाडीह स्थित त्रिलोचन कीर्ति स्तंभ का तीसरा स्थापना दिवस हर्षोल्लास एवं समारोह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर कुलदेवी की प्रार्थना एवं पूजन वैदिक मंत्रोचार के बीच हवन -पूजन के साथ किया गया।इसके बाद सभी कश्यप गोत्रीय भू- ब्राह्मणों का एक सम्मेलन किया गया। सम्मेलन में बोलते हुए किनवार समाज के संरक्षक अरविंन्द राय ने कहा कि किनवार वंश का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। जो समाज अपना इतिहास भूगोल भूल जाता है,उसका इतिहास स्वतः समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि कीर्ति स्तंभ में बाली अन्न का प्रतीक है और फरसा वीरता का प्रतीक है।ब्राह्मण वही है जो समाज को किसान के रूप में अन्न, विद्वता और आवश्यकता पड़ने पर शस्त्र भी उठा सके।उन्होंने कहा कि किनवार कीर्तिस्तम्भ से सभी लोगो को जोड़ा जाएगा और इस वंश का कल्याण किस प्रकार हो सके जिसके लिए सार्थक प्रयास किया जाएगा । उन्होंने कहा कि यह समाज एकजुट होकर गरीबो असहायों की हरसंभव मदद करेगा। उन्होंने कहा कि त्रिलोचन दीक्षित गढ़वाल वंश के नवरत्नों में से एक थे । इतिहास गवाह है कि काशी के दशाश्वमेघ घाट पर जो अश्वमेघ यज्ञ हुआ था उसके मुख्य पुरोहित थे।उन्ही के वंशज मूलन दीक्षित ने हेमचंद को हराया था। जिसके बाद उन्हें सात सौ गांव मिले।इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष संन्तोष राय ने कहा कि समाज के सक्षम लोग अपनी जिम्मेदारी उठाए। उन्होंने मौके पर मौजूद समाज के लोगों का आवाह्न करते हुए कहा कि वे अपने परिवार के युवाओं को भी इस संस्थान से जोड़ें ताकि उन्हें अपने पुरखों के इतिहास की जानकारी हो सकें। इस मौके पर समाज के बिभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगों को संरक्षक अरविन्द राय एवं संन्तोष राय ने अंगवस्त्रम और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।।इस अवसर पर डॉ0 राजेन्द्र राय द्वारा लिखित पुस्तक विचार बंध का लोकार्पण प्राख्यात साहित्यकार डॉ0 रामबदन राय और इंजीनियर अरविंद राय के हाथों किया गया। ज्ञात हो कि कीर्ति स्तंभ किनवार वंश की नींव डालने वाले त्रिलोचन दीक्षित की स्मृति में बना है।इतिहास के अनुसार कर्नाटक के ब्राह्मण वंशीय अमोघ दीक्षित के पुत्र त्रिलोचन दीक्षित की इच्छा उत्तर भारत मे बसने की हुई।अपने पिता से आज्ञा लेकर वे इस सहरमाडीह में बसे जहाँ से कश्यप गोत्रीय किनवार वंश की नींव पड़ी इन्ही के वंशज बलिया, बिहार प्रांत तथा जनपद आजमगढ़ में बसे है। इतिहास के अनुसार गहरवार वंश के राजा जयचंद की पुत्री का विवाह इसी वंश में हुआ और उन्होंने इस वंश को 750 गांव देकर राजा की उपाधि प्रदान की। कार्यक्रम की अध्यक्षता किनवार समाज के अध्यक्ष संन्तोष राय ने सभी आगंतुकों का आभार जताया। कार्यक्रम का ओजपूणऀ संचालन डॉ0 व्यासमुनी राय ने किया । उन्होंने सभी आगंतुकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित दिया।इस मौके पर साहित्यकार रामबदन राय, , भाजपा के पूर्व अध्यक्ष विजयशंकर राय, राजेंद्र राय,, शारदानंद राय उफऀ लुटुर राय, पूर्व आईएएस भरत राय, बेनीमाधव राय, जिला पंचायत प्रतिनिधि अनिल मुन्ना, दुर्गा राय, रबीन्द्र राय, भारतेन्दु राय, विमलेश राय, अखंड राय, डा0 राजेंद्र राय, मुक्तिनाथ राय, देवेन्द्र प्रताप सिंह, प़दीप सिंह पप्पू, रविकांत उपाध्याय, हिमांशु राय,कवि दिनेश राय, रामजी राय, पंकज राय आदि मौजूद रहे।

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