मुकेश चन्द्रकार की हत्या पर गाजीपुर में आक्रोश, पत्रकारों ने की कड़े कानून की मांग

avinash yadav

गाजीपुर: यह खबर देशभर में पत्रकारों के लिए एक गंभीर मुद्दे को उजागर करती है। पत्रकार मुकेश चन्द्रकार की निर्मम हत्या ने न केवल पत्रकार समुदाय को हिला दिया है, बल्कि समाज के हर वर्ग को सोचने पर मजबूर किया है। इस घटना पर गाजीपुर में आयोजित शांतिपूर्ण मौन जुलूस और राष्ट्रपति को सौंपा गया पत्रक इस बात का प्रमाण है कि पत्रकारों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए एकजुटता कितनी महत्वपूर्ण है।

पत्रकार संगठनों ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें हत्या के आरोपी ठेकेदार सुरेश चन्द्राकर को दोषी ठहराते हुए उसे मृत्युदंड देने की मांग की गई। इसके साथ ही, पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानून बनाने की अपील की गई। ज्ञापन में प्रमुख मांगे इस प्रकार थीं:

  1. पत्रकार मुकेश चन्द्रकार की हत्या के दोषी सुरेश चन्द्राकर को मृत्युदंड दिया जाए।
  2. राष्ट्रपति के माध्यम से पत्रकार सुरक्षा कानून के तहत विशेष अध्यादेश जारी किया जाए।
  3. मृतक पत्रकार के परिवार को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सरकारी नौकरी और ₹5 करोड़ का मुआवजा प्रदान किया जाए।
  4. मऊ जिले में 6 पत्रकारों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों को तत्काल वापस लिया जाए।
  5. जौनपुर में पत्रकारों पर हुए हमलों की न्यायिक जांच कराई जाए।
  6. पत्रकारों पर फर्जी मुकदमों और उत्पीड़न की घटनाओं को तुरंत रोका जाए और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

पत्रक सौंपने वालों में गाजीपुर पत्रकार एसोसिएशन, राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत, प्रगतिशील ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन, श्रमजीवी पत्रकार संगठन, जर्नलिस्ट कौंसिल ऑफ इंडिया, इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन, ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन, यूनाइटेड मीडिया पत्रकार एसोसिएशन और अन्य संगठनों के सदस्य व पदाधिकारी शामिल थे।

इस प्रकार की घटनाएं यह सवाल उठाती हैं कि क्या पत्रकार, जो समाज को सच से रूबरू कराते हैं, स्वयं सुरक्षित हैं? यह आवश्यक है कि सरकार और समाज पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए और उनकी स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा करे। गाजीपुर में पत्रकार संगठनों की एकजुटता न केवल पत्रकारिता के प्रति सम्मान और जागरूकता बढ़ाने में सहायक है, बल्कि यह अन्याय के खिलाफ लड़ाई में भी प्रेरणा देती है। जब तक पत्रकारों की आवाज और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाती, ऐसे संघर्ष जारी रहेंगे।

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