रेस्पिरेटरी वायरस है ह्यूमन मेटाप्नेयूमो वायरस ( एच एमपी पी ): स्वसन तंंन्त़़ पर करता है हमला – डा0 प्रशान्त राय

Sonu sharma

गाजीपुर । शोधकर्ता एवं वैज्ञानिक शेरपुर निवासी डा0 डॉक्टर प्रशांत कुमार राय ने ह्यूमन मेटाफोरस वायरस के बचाव के बावत कहा कि ह्यूमन मेटाप्नेयूमो वायरस ( एच एम पी भी ) पहली बार 2001 में नीदरलैंड्स में पाया गया था। यह वायरस एक प्रकार का रेस्पिरेटरी वायरस है, जो मुख्यतः श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। हाल ही में, चीन में इस वायरस के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिससे अस्पतालों में भीड़भाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
खोज की प्रक्रिया:

  1. शोध की पृष्ठभूमि:
    शोधकर्ता ऐसे बच्चों का अध्ययन कर रहे थे जिन्हें गंभीर श्वसन संक्रमण ( एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन ) था, लेकिन उनके संक्रमण का कारण अन्य ज्ञात वायरस (जैसे आर एस भी, इन्फ्लुएंजा) से संबंधित नहीं था।
  2. तकनीकी विधियाँ –
    शोधकर्ताओं ने वायरस की पहचान करने के लिए मॉलिक्यूलर और जेनेटिक विश्लेषण तकनीकें, जैसे रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन ( आर टी पीसी आर ), और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का उपयोग किया।
  3. फैमिक संबंध – एच एम पी भी को पहचानने पर पता चला कि यह पैरामाइक्सोविरिडी परिवार से संबंधित है, जो रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आर एस भी) के समान है। यह ह्यूमन मेटाप्नेयूमोवायरस ( एच एम पी भी) एक श्वसन संबंधी वायरस है, जो विशेषकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों को प्रभावित करता है। यह वायरस खांसी, बुखार, नाक बंद होने जैसे लक्षण उत्पन्न करता है, और गंभीर मामलों में ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है।

संक्रमण का प्रसार – एच एम पी भी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से उत्पन्न बूंदों के माध्यम से फैलता है। इसके अतिरिक्त, संक्रमित सतहों को छूने के बाद आंख, नाक या मुंह को स्पर्श करने से भी संक्रमण हो सकता है। यह वायरस बच्चों, वृद्धों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में सामान्य सर्दी से लेकर गंभीर निमोनिया तक का कारण बन सकता है।
बचाव के उपाय- स्वच्छता बनाए रखें ,हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोएं या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र का उपयोग करें।
चेहरे को छूने से बचें: आंख, नाक और मुंह को बिना हाथ धोए स्पर्श न करें। बीमार व्यक्तियों से दूरी रखें, संक्रमित लोगों के निकट संपर्क से बचें।
सतहों की सफाई: अक्सर छुई जाने वाली सतहों को नियमित रूप से साफ करें।

भारत में संक्रमण का खतरा – हाल ही में चीन में एच एमपी भी संक्रमण के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिससे अस्पतालों में भीड़भाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। भारत सरकार ने इस स्थिति पर सतर्कता बढ़ाई है और डब्ल्यू एच ओ से समय पर जानकारी साझा करने का अनुरोध किया है। फिलहाल, भारत में इस वायरस का व्यापक प्रसार नहीं देखा गया है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति पर नजर बनाए हुए है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, यह वायरस सामान्य सर्दी का कारण बनने वाले अन्य वायरस की तरह है, और देश इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। वर्तमान में, डब्ल्यू एच ओ ने एच एम पी भी को महामारी घोषित नहीं किया है।
निष्कर्ष: एचएमपीवी एक सामान्य श्वसन वायरस है, जो विशेषकर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है। स्वच्छता और सावधानियों का पालन करके इसके संक्रमण से बचा जा सकता है। भारत में वर्तमान में इसका खतरा कम है, लेकिन सतर्क रहना आवश्यक है।

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