श्रीमद्भागवत कथा भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात वांग्मय रूप है – फलाहारी बाबा

Sonu sharma

गाजीपुर । अयोध्या से पधारे महामंडलेश्वर शिवराम दास उफऀ फलाहारी बाबा ने मुहम्मदाबाद क्षेत्र के राजापुर गांव के जेठू राय के दरवाजे के विशाल मंच पर श्रीमद्भागवत और सत्संग की महिमा बताते हुए कहा कि सत्संग और कथा मनुष्य के जीवन के सर्वोत्तम सूत्र हैं। जिसका आश्रय लेकर जीवन खिल जाता है खुल जाता है। समस्त योनियों में सर्वोत्तम योनि मनुष्य योनि बड़ा ही दुर्लभ है उसमें भी क्षणभंगुर है उसमें भी प्रतिपल मृत्यु का भय सताता रहता है ।भागवत कथा मृत्यु से निर्भय करती है। गीता के अनुसार स्वर्ग का सुख भी स्थाई नहीं है पुण्य के क्षय होने पर देवताओं को भी मृत्यु लोक में आने पर विवश होना पड़ता है ।श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान कृष्ण का साक्षात वांग्मय रूप ही है । समस्त पापों का जन्मदाता लोभ होता है ।मनुष्य जीवन में लोभ से बड़ा रोग, क्रोध से बड़ा दुश्मन, दरिद्रता से बड़ा दुख और संत तथा सत्संग से बड़ा सुख इस जीवन में कुछ भी नहीं है। साधु का दर्शन ही चिंता से मुक्ति दिलाता है रावण की सभा से विभीषण और धृतराष्ट्र की सभा से विदुर के निष्कासन पर सोने की लंका समेत राजा रावण तथा कौरवों का सर्वनाश हुआ। जैसे-जैसे दुनिया छुटती है वैसे-वैसे भगवान नजदीक आते श्रीमद् भागवत कथा वेद रूपी वृक्ष का सुपाच्य और सर्वाग्रही सुंदर फल है। आत्मदेव और धुंधली की कथा सुनाते हुए बाबा ने कहा कि आत्मा ही आत्मदेव है और बुद्धि का ही नाम धुंधली है बुद्धि बराबर आत्मा को छलने का काम करती है हमारे शरीर के अंदर आत्मा सत्य पथ का मार्गदर्शन करती है। परंतु इंद्रियों के कोलाहल में हमें सुनाई नहीं देता।

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