सिद्धपीठ हथियाराम में दशहरा पर हुआ ध्वज, शस्त्र, शास्त्र, शक्ति, शिव और शमी वृक्ष का पूजन, महामंडलेश्वर ने हजारों श्रद्धालुओं को बांटा बुढ़िया माई को भोग लगा हलवा पूड़ी का प्रसाद

Sonu sharma

गाजीपुर । शारदीय नवरात्र में नौ दिनों तक शक्ति (देवी दुर्गा) की आराधना के उपरांत विजया दशमी के अवसर पर सिद्धपीठ हथियाराम मठ में परंपरानुसार शस्त्र पूजन, शास्त्र पूजन, ध्वज पूजन, शिव पूजन और शमी वृक्ष का पूजन किया गया। सिद्धेश्वर महादेव के प्रांगण में सत्संग सभा में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानी नंदन यति महाराज ने कहा कि यह सभा विद्वतजनों की है। यहां वक्ताओं की फुलवारी बनाकर इस मंच से प्रेरणा मिलती है, उसे श्रृषि वचन के रूप में हृदय में धारण करें। उन्होंने विजया दशमी के अवसर पर लोगों से अपने अंदर छिपी बुराइयों का परित्याग कर सत्य आचरण करने की अपील की। कहा कि हमारे लिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से बड़ा कोई आदर्श नहीं हो सकता, उनके आदर्शों से प्रेरणा लें। कहा कि माला जपने से भजन नहीं होता। गौ सेवा, साफ सफाई, मंदिर बनवाना भी भजन के समान है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा कर्म करते रहो, अगरबत्ती धूप माला राम राम कहने से भजन नहीं है। विचार को अच्छा रखना ही भजन कहलाता है।
महात्मा गांधी विद्यापीठ बाराणसी के कुलपति प्रोफेसर आनंद त्यागी ने कहा कि आज ज्ञान विज्ञान संस्कृत के पुरोधा इस सभा में मौजूद हैं। यह मठ धार्मिक ही नहीं बल्कि अध्यात्म के साथ तमाम समस्याओं को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्रीय समस्याओं को ऊपर तक ले जाने का कार्य भी करता है। प्रभु श्री राम को पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने सभी दायित्व निभाए। हम जिस रामराज्य की कल्पना करते हैं उसे स्थापित करने के लिए हमें अपना दायित्व निर्वहन करते हुए बढ़ चढ़कर कार्य करने की जरूरत है। कहा कि समाज में लड़की हो या लड़का, दोनों को बराबर हिस्सेदारी देना है। चाहे शिक्षा हो या कोई अन्य क्षेत्र, इसमे हमें अच्छे चरित्र का निर्माण हो सकता है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विज्ञान विभाग के निदेशक उपेंद्र तिवारी ने कहा कि अध्यात्म की परंपरा सामान्य नहीं है, और उसे पाना धर्म कर्म अर्थ मोक्ष होने पर ज्ञान संत के शरण में जाने पर प्राप्त होने वाला है। केंद्रीय विश्वविद्यालय रांची के कुलपति प्रोफेसर जेपी लाल ने कहा कि समाज का मार्गदर्शन संतों ने किया है। हमेशा से धर्म के अनुसार सभी कार्य किया जाता है धर्म से ही आचरण मिलेगा। धर्म की रक्षा का मार्गदर्शन का कार्य इस सिद्धपीठ से किया जा रहा है। प्रभु श्रीराम की लीला देखने का विषय नहीं बल्कि उसे जीवन में उतारने का है। राष्ट्रपति से सम्मानित पद्म विभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी ने कहा कि हमेशा से महापुरुषों की कृपा से सभी आनंद मिलता है। धर्म में सभी को कर्मों में बांटा गया है। इस दौरान वर्ल्ड बुक में तीन बार वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज कराये वाराणसी के प्रोफेसर अमर बहादुर सिंह व प्रोफेसर अमर ज्योति सिंह द्वारा प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था आबजर्वर फाऊंडेशन वाराणसी द्वारा पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2024 का सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। मंचासीन सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु की कुलपति प्रो. कविता साहा, पद्म विभूषण प्रो. वशिष्ठ तिवारी, प्रो. सुखदेव त्रिपाठी, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जयप्रकाश लाल, देवरिया के जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह, वाराणसी हिंदू विश्वविद्यालय के उपेंद्र कुमार त्रिपाठी, सत्यानंद यति, डॉ. मंगला सिंह, डॉ. रत्नाकर त्रिपाठी, प्रो. अमर ज्योति सिंह, विधायक वीरेंद्र यादव, जितेंद्र सिंह वैभव, स्वामी मोहनानंद यति सहित काफी संख्या में मंच पर लोग रहे।कार्यक्रम का संचालन डॉ. सानंद सिंह और मुख्य यजमान शिवानंद सिंह ने अतिथियों का सम्मान किया। अंत में परम्परानुसार महाराज श्री ने बुढ़िया मां का भोग लगाया हलवा पूड़ी का प्रसाद हजारों श्रद्धालुओं को वितरित किया। महामंडलेश्वर के हाथों प्रसाद पाने के लिए क्षेत्र के ही नहीं अन्य प्रांतों के लोग भी सिद्धपीठ पर पहुंचे थे।

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