हाईकोर्ट द्वारा रविवार को आयोजित भर्ती परीक्षा में बिहार और ग़ाज़ीपुर के साॅल्वर गैंग के 4 सदस्य गिरफ्तार

Sonu sharma

ग़ाज़ीपुर । स्वाट,सर्विलांस और सदर कोतवाली पुलिस की टीम ने अन्तरराज्जीय साल्वर गैंग के 4 सदस्यों को सदर कोतवाली के राय कालोनी से गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। दरअसल ये सॉल्वर गैंग प्रतियोगी परीक्षा में पास कराने के नाम अभ्ययर्थियों से पैसा लेकर पेपर सॉल्व कराने का काम कर रहे थे। ये गैंग अभी हाल ही में हाईकोर्ट द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षा में ये गैंग सक्रिय था। लेकिन सफल नहीं हो पाया। पूर्व में ये गैंग कई प्रतियोगी परीक्षाओं में कुछ सफलता भी हासिल की है। पकड़े गए सॉल्वर गैंग के सदस्यों के पास से 3 वाईफाई राउटर,20 सिमकार्ड, छोटा व बड़ा वाकी टाकी, स्कैनर बरामद आदि उपकरण बरामद किया गया है। साथ ही अभ्यर्थियों के मूल प्रमाण पत्र,ब्लैंक हस्ताक्षरित चेक, ब्लैंक हस्ताक्षरित स्टॉम्प पेपर आदि बरामद किया गया है। इस बात की पुष्टि एसपी डॉ ईरज राजा ने पुलिस लाइन सभागार में प्रेसकांफ्रेन्स कर की है। इस दौरान उन्होंने बताया कि अपराध और अपराधियों के विरुद्ध अभियान के तहत स्वाट, सर्विलांस और प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली गाजीपुर की संयुक्त टीम द्वारा भर्ती परीक्षाओ में नकल कराने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह के चार अभियुक्तों में सर्वजीत सिंह पुत्र उमाशंकर यादव निवासी हरिबल्लभपुर थाना मोहम्मदाबाद जनपद गाजीपुर, श्रवण यादव पुत्र सत्यनारायण यादव निवासी मरदानपुर लक्ष्मन वाजिदपुर थाना बिरनो जनपद गाजीपुर, श्रवण कुमार पुत्र रविन्द्र यादव निवासी बिहरा थाना बिरनो जनपद गाजीपुर और पंकज कुमार राय पुत्र अवधबिहारी राय निवासी सारंगपुर थाना कोचस जिला रोहतास सासाराम बिहार को राय कालोनी में किराये के मकान से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों द्वारा बताया कि सार्वजनिक परीक्षाओ में परीक्षार्थियो को फर्जी तरीके से पास कराने में इलेक्ट्रानिक उपकरण , डिवाइश का प्रयोग करते है। परीक्षार्थियो को पास कराने के दौरान अभ्ययर्थियों के मूल अंकपत्र , ब्लैंक चेक, ब्लैक स्टाम्प पेपर, आधार कार्ड ले लेते थे और फोटो व नाम परीवर्तित कर हम लोग फर्जी आधार कार्ड व किसी भी स्कूल का प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से कूटरचित मुहर के माध्यम से तैयार कर प्रमाणित कर लेते थे। उसके बाद परीक्षार्थियो के परीक्षा पास करने के उपरान्त उनके प्रमाण पत्रो को पूर्व निर्धारित मोटी रकम कम से कम दस लाख रुपये लेने के बाद वापस दिया जाता था । परीक्षार्थी से मिले रुपयो को हम लोग आपस में बांटकर उपयोग कर लेते है । इस संबंध में पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ धारा 61(2),319(2),318(4),338,336(3),340(2),112(2) बीएनएस व 6/10 उ0प्र0 सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1998 के तहत अभियोग पंजीकृत कर नियमानुसार अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है ।

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