गाजीपुर। सैदपुर तहसील के पूर्व लिपिक व वर्तमान में सेवराई तहसील मे पदस्थ लिपिक शकील अहमद सहित तीन चाय विक्रेता के खिलाफ लाखांे के गबन के आरोप में शुक्रवार को कोतवाली में मुकदमा हुआ है। डीएम आर्यका अखौरी के निर्देश पर तहसीलदार देवेंद्र यादव की रिपोर्ट पर यह कार्रवाई हुई है। अचानक हुई कार्रवाई से तहसील के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है।
बता दे की स्थानीय तहसील के पूर्व में भ्रष्टाचार से लिप्त लिपिक शकील अहमद जो मुकदमे में गिरफ्तारी के बाद कानूनी रूप से नौकरी की बहाली पाकार अभी दो दिन पूर्व ही सेवराई तहसील मे स्थानांतरित हुआ था। गुरुवार को उसके द्वारा किए गए लाखो रुपये के गबन का खुलासा हुआ है। जिसके बाद जिलाधिकारी आर्याका अखौरी के निर्देश पर सैदपुर के तहसीलदार देवेंद्र यादव ने सैदपुर के लिपिक शकील अहमद सहित कुल 4 के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। जिसके बाद पुलिस तत्काल हरकत में आ गई और दो आरोपित जो चाय विक्रेता है उनकी गिरफ्तारी कर जांच में जुट गई है। बताते चले कि स्थानांतरण के बाद वर्तमान में सेवराई तहसील में कार्यरत मुहम्मद शकील सैदपुर तहसील में बहुत ही लंबे समय से बाबू के पद पर कुंडली मारकर बैठा था और नजारत का काम देखता था। इसके बाद सैदपुर तहसील से स्थानांतरण के पूर्व मालखाने का काम देखने लगा। इस बीच उसने जमकर भ्रष्टाचार किया। वर्ष 2021 में भी उसने जमकर भ्रष्टाचार किया था, जिसका खुलासा हुआ तो पता चला कि उसने सरकारी वाहनों में तेल भराने के लिए फर्जी हस्ताक्षर करके लाखों रूपए का गबन किया था। उस मामले का खुलासा होने पर डीएम के आदेश पर तत्कालीन तहसीलदार नीलम उपाध्याय ने उसके व एक पंपकर्मी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जिसके उसे निलंबित कर दिया गया था, लेकिन कोर्ट के जरिए उसकी बहाली हो गई। इसके बाद उसका स्थानांतरण यहां से हो गया। जिसके बाद यहां पर अन्य कर्मचारी आए तो उसके एक नए व लाखों रूपए के घोटाले का खुलासा हुआ।
चाय-नाश्ता के नाम पर किया सरकारी धन का गबन
नगर स्थित डाक बंगले में वीआईपी व उच्चाधिकारीयों के आने पर आवभगत के लिए नाश्ता सहित अन्य खाने पीने की व्यवस्था होती है। जिसके लिए वहीं स्थित तीन चाय विक्रेताओं द्वारा डाक बंगले में चाय आदि पहुंचाया जाता था। जब रूपया देने की बारी आती थी तो लिपिक शकील द्वारा करीब 20 से 50 हजार रूपए तक के चेक उन चाय विक्रेताओं को दिए जाते थे। वह चाय विक्रेता उस सरकारी चेक को अपने खाते में भुना लेते थे और अपने चाय आदि का रूपया काटकर बाकी के रूपए शकील को दे देते थे। इस बात का खुलासा नहीं हो सका, जिसके चलते वह बचा रहा और इस तरह का चेक उसने करीब 15 माह में कई किस्तों मे कर लाखों रूपए का गबन किया गया । इसके बाद उसका स्थानांतरण सेवराई तहसील में हो गया और किसी अन्य अधिकारी की नजर जब इस तरह की अनियमितता पर हुई तो पूरे मामले का खुलासा हुआ तो अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए।
गबन का खुलासा होने के बाद एक्शन मोड में आये अधिकारी
तत्काल इस बात की सूचना तहसीलदार देवेंद्र यादव ने जिलाधिकारी आर्यका अखौरी को दी तो उन्होंने तत्काल उसके सहित चेक को भुनाने वाले तीनों चाय विक्रेताओं के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया। इसपर तहसीलदार की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। कोतवाल विजय प्रताप सिंह ने इस मामले में जांच शुरू करते हुए सगे भाई दो चाय विक्रेताओं को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी। यही नहीं पुलिस बैंक में जाकर उनके खातों के स्टेटमेंट निकालकर इस बात का पड़ताल कर रही है कि उनके खातों में आखिर कितने रूपए के सरकारी चेक जमा हुए हैं।
20 लाख रुपये से अधिक का हुआ है गबन
स्रकारी सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि मामला 20 लाख रूपए से भी अधिक के गबन का सामने आ सकता है। वहीं इस घटना के बाद तहसील में भी चर्चा है कि उक्त बाबू भ्रष्टाचार का लती हो चुका था और बिना रूपए के तो किसी का काम ही नहीं करता था। यहां तक कि सस्पेंड होने व दोबारा नौकरी पर बहाल होने के बावजूद उसने अपनी ये आदत नहीं छोड़ी। जिसके चलते आज सैदपुर तहसील का नाम बदनाम हुआ है। बता दें कि उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद प्रशासन द्वारा अब उसे निलंबित करने की कार्रवाई की जाएगी।
अभी तक इस मामले में लगभग लाखो के सरकारी धन के दुरुपयोग की बात पता चली है। आगे की जांच-पड़ताल की जा रही है। कार्रवाई अभी प्राथमिक जांच के आधार पर की जा रही है। पुलिस की कार्रवाई में बैंक स्टेटमेंट इत्यादि के जांच के बाद और भी नाम बढ़ने की संभावना है। संभावना है कि आगे कुछ और मुकदमे दर्ज हो तथा सरकारी धन के दुरुपयोग की राशि और बढ़े। मामला गंभीर फर्जी चेक से संबंधित है। चूंकि आरोपी बाबू वर्तमान में सेवराई तहसील में कार्यरत है। इसलिए उसके निलंबन की कार्यवाई वहीं से की जाएगी।