गाजीपुर। साल 1999 से हर साल मनाया जाने वाला ”कारगिल विजय दिवस” भारत के इतिहास में ये एक महत्वपूर्ण दिन है, कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों की बहादुरी याद करने श्रद्धांजलि देने के लिए आज स्थानीय जिला पंचायत सभागार में मनाया गया, इसमें वक्ताओं ने बताया कि आज का दिन विशेष है, 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत का भी स्मरण करता है और ऑपरेशन ‘विजय’ की सफल परिणति का प्रतीक है, कारगिल युद्ध को वीरता से लड़ने वाले और युद्ध के दौरान दोनों हाथो से अपंग होने वाले ऑनरेरी कैप्टन उमाशंकर यादव ने भावुक होकर लोगों से कहा कि आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है और जब किसी शहीद का शव आता है तो आप सबको उसमें जरूर जाना चाहिए।
क्योंकि एक सैनिक बहुत कठिन परिस्थितियों में काम काम करते हुए देश के लिए जान न्योछावर करता हैं। अधिकारियों के व्यवहार से दुखी अपंग कारगिल सैनिक उमाशंकर यादव का कहना है कि अधिकारी हमारी विवशताओ को बिलकुल नहीं समझते, वे आम आदमियों की तरह हमें भी टाल देते हैं, इसी लिए हमने संगठन बना लिया है और हम लोग सैनिकों के परिजनों, विधवाओं, बच्चों के लिए मांग उठाते हैं और प्रयास करते हैं कि इनका कार्य प्रमुखता से हो जाए। वहीं अनंतनाग में आतंकी हमले में शहीद जैतपुरा निवासी सीआरपीएफ जवान महेश कुशवाहा की विधवा निर्मला कुशवाहा ने कहा कि मेरे शहीद पति की मूर्ति बनकर घर पर रखी है, सरकार द्वारा उनके सम्मान में मूर्ति स्थापित करने के लिए जगह एलॉट हुआ लेकिन अब वर्तमान जिलाधिकारी ने वहां लगने को मना कर रही हैं कि जमीन एलॉट नहीं हुई है, अब सरकार को कई पत्र लिख चुकी हूं लेकिन अभी भी मेरे शहीद पति की मूर्ति घर ही रखी है कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह ने देश के सैनिकों और उनकी पत्नियों, परिजनों को शेर की उपाधि से नवाजा और उनके सम्मान में मंच से कई बाते कहीं और उनके लंबित कार्यों को श्रतिशीघ्र होने का भरोसा भी दिया।