गाजीपुर । मुहम्मदाबाद तहसील के क्षेत्र के डिहवा गांव के काली मंन्दिर पर चल रहे भागवत कथा में अयोध्या से पधारे परमसंत उपाख्य श्री शिवराम दास फलाहारी बाबा ने कपिल भगवान के अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि कर्दम ऋषि और देवहुति को पहले नव कन्या हुई उसके बाद कपिल भगवान अवतार लिए 9 भक्ति जब हमारे जीवन में परिपूर्ण हो जाती है तब भगवान का अवतार होता है यानी साक्षात्कार होता है सानिध्य प्राप्त होता है भागवत में 9 भक्ति श्रवण कीर्तन भगवान का स्मरण पाद सेवन अर्चन बदंन साख्य भाव दास भाव और शरणागति है। श्रवण में परीक्षित कीर्तन में प्रभु चैतन्य स्मरण में प्रहलाद पाद सेवन में लक्ष्मी और अर्चन में पृथु राजा बदंन में अक्रूर जी दास में हनुमान जी समर्पण में राजा बलि का नाम उदाहरण है। भक्ति सारे सुखों की खान है मन का पेट इतना बड़ा है कि यह कभी भरता नहीं जब भी भरेगा मनमोहन से ही मन भरेगा पूर्ण से ही पूर्णता की प्राप्ति होती है और पूर्ण सिर्फ एक ईश्वर है। ईश्वर को पाना नहीं पहचाना कठिन है ईश्वर सर्वत्र व्याप्त है और प्राप्त भी है। मंदिर के कपाट बंद होने पर भी भगवान बंद नहीं होते भाव से बंद होते हैं। और श्रद्धा से प्रकट होतें हैं ।