गाजीपुर । जिले के विकास खण्ड सादात अंतर्गत भीमापार बाजार में अन्य स्थानों से एक दिन बाद होली मनाए जाने की वर्षो प्राचीन परंपरा चली आ रही है। इसे लेकर कई किवदंतियां प्रचलित हैं। एक किवदंती के अनुसार भीमापार बाजार पहले नृत्यांगनाओं का अड्डा था। होली वाले दिन सभी नृत्यांगनायें जमींदारों और सेठ साहूकारों के घर जाकर नाच-गाकर मनोरंजन करती थी। इसके अगले दिन अपनी होली मनाती थी। दूसरा कारण बताते हैं कि भीमापार बाजार स्थित मंदिर पर एक सिद्ध संत रहा करते थे। होली वाले दिन किसी ने उनके ऊपर रंग डाल दिया था, जिस पर क्रोधित होकर उन्होंने श्राप दे दिया था। तभी से यहां होली एक दिन बाद मनाई जाती है। वर्षों से यही परंपरा चल रही है और लोग इसका पालन कर रहे हैं। दूसरी तरफ रंगोत्सव की तैयारियां अंतिम दौर में चल रही है। कपड़ा, रंग गुलाल, पिचकारी के साथ ही लोग विभिन्न प्रकार के पकवान बनाने के लिए सामानों की खरीदारी कर रहे हैं। बंद हो रहे विद्यालय व संस्थानों में एक दिन पहले ही लोग होली के रंग में सराबोर नजर आए।