गाजीपुर । भांवरकोल क्षेत्र के श्रीपुर गांव में श्रीमद्भागवत कथा में वृंदावन से पधारे कथा व्यास पंडित प्रताप जी शास्त्री ने श्रीमद् भागवत की अमर कथा व शुकदेव जी के जन्म का विस्तार से वर्णन किया। भागवत कथा प्रारंभ से पूर्व राधे-राधे श्री राधे के नाम से पूरा पंडाल गूंजता रहा।वहीं कथा व्यास पंडित प्रताप जी शास्त्री ने शुकदेव जी के जन्म का विस्तार से वर्णन करते हुऐ कहा कि कैसे श्री कृष्ण शुकदेव महाराज को धरती पर भेजे भागवत कथा ज्ञान करने को ताकि कलयुग के लोगों का कल्याण हो सके। रास्ते में कैलाश पर्वत पर उन्होंने चुपके से भगवान शिव की ओर से मां पार्वती को सुनाई जा रही भागवत कथा सुन ली। इससे शिव नाराज होकर उन्हें मारने दौड़े। साथ ही राजा परीक्षित को श्राप लगने का प्रसंग सुनाया गया। कहा कि राजा परीक्षित की मृत्यु सातवें दिन सर्प दंश से होनी थी। जिस व्यक्ति को यहां पता चल जाए कि उसकी मृत्यु सातवें दिन होगी, वह क्या करेगा, क्या सोचेगा। राजा परीक्षित यह जानकर अपना महल छोड़ दिए। पंडित शास्त्री ने बताया कि श्रीकृष्ण की ओर से राजा परीक्षित को दिए गए श्राप से मुक्ति के लिए उन्हें भाई शुकदेव से मिलने की कथा सुनाई। कहा कि भागवत कथा का श्रवण आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। संसार में जितने भी प्राणी हैं। सभी परिचित हैं सब की मृत्यु एक ना एक दिन होनी तय है और जो मनुष्य एक बार श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर ले और उसे सुनकर जीवन में उतार ले तो उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दौरान मुख्य यजमान कालिका राय, शैलेश राय, सोनू राय, मोनू राय, रामावधेश राय, उमेश राय, लक्ष्मण राय, अशोक राय, सत्यम राय, पिंटू शर्मा, कमलेश नरायण राय, ओंकारनाथ राय सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।