शिक्षा प्रणाली की साख पर बड़ा धब्बा लग सकता है: सूत्र
बच्चों की खेल प्रतिभा के नाम पर शिक्षा विभाग में हो रही, अवैध धनउगाही
गाजीपुर। गाजीपुर जिले में बच्चों की खेल प्रतिभा को निखारने के नाम पर शिक्षा विभाग में एक बार फिर सूत्रों से मिली जानकारी से अवैध धनउगाही का मामला सामने आ रहा है। जिले के विभिन्न ब्लॉकों में प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों, सहायक अध्यापकों और एनपीआरसी के शिक्षकों से हर साल खेल आयोजन के नाम पर भारी रकम वसूली जा रही है। यह वसूली 600 से लेकर 1000 रुपये तक की बताई जा रही है, जिसे शिक्षा विभाग के अधिकारी और शिक्षक नेताओं के द्वारा जबरन एकत्रित किया जाता है।
सूत्रों के अनुसार, यह वसूली हर साल खेलों के आयोजन के बहाने की जाती है, जिससे बच्चों के खेलकूद की गतिविधियों के नाम पर शिक्षा विभाग और स्थानीय शिक्षक नेताओं के लिए अतिरिक्त आय का एक रास्ता बन गया है। बिरनो ब्लॉक में तो यह वसूली और भी अधिक गंभीर रूप से की जा रही है। वहां के एनपीआरसी और अन्य शिक्षक नेताओं ने आदेश जारी किया है कि प्रत्येक प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक अपने-अपने सहायक अध्यापकों से 1000 रुपये की वसूली करें और इसे जमा करें।
इसके अलावा, जिले के अन्य ब्लॉकों में भी यह वसूली जारी है। मरदह, सदर, करंडा और कासिमाबाद ब्लॉक में भी इसी तरह की वसूली की जा रही, बताया गया है। इस तरह से जिले भर में एक संगठित तरीके से धन उगाही का यह खेल चल रहा है, जिसका उद्देश्य बच्चों के खेल कार्यक्रमों को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि अधिकारियों और शिक्षकों की जेबें भरना प्रतीत हो रहा है।
यह रकम वसूली केवल स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से ही नहीं, बल्कि सहायक अध्यापकों से भी की जा रही है, जिनका कहना है कि उन्हें अपने काम के बदले में यह धन जमा करने के लिए बाध्य किया जाता है। कुछ शिक्षकों ने इस वसूली के खिलाफ विरोध भी जताया है, लेकिन उनके विरोध के बावजूद इस अवैध प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं आ रही है।
यह सब इस समय उस शिक्षा प्रणाली की गंभीरता को दर्शाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को बेहतर शिक्षा और खेल गतिविधियों के अवसर प्रदान करना है। मगर, वास्तविकता यह है कि बच्चों की शिक्षा और खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की बजाय, यह प्रणाली केवल शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षक नेताओं के लिए एक आय का स्रोत बन गई है।
संबंधित सूत्रों ने यहां तक बताया है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) और खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) को भी इस वसूली की जानकारी है, लेकिन न तो उन्होंने इसे रोकने के लिए कोई कदम उठाए हैं, और न ही इस पर कोई ठोस कार्रवाई की है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या विभागीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रहे हैं, या फिर वे खुद इस वसूली में शामिल हैं।
अब यह देखना बाकी है कि इस मामले पर सक्षम अधिकारी कब और कैसे गंभीरता से कार्रवाई करते हैं। अगर यह वसूली इसी तरह जारी रही, तो यह बच्चों के भविष्य के साथ-साथ शिक्षा प्रणाली की साख पर भी बड़ा धब्बा लग सकता है। और यह मामला गाजीपुर जिले में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।