गाजीपुर । भांवरकोल क्षेत्र के शेरपुर पंचायत में चल रही श्री रुद्र महायज्ञ के दौरान श्री शिव शक्ति सनातन धर्म ट्रस्ट केदारनाथ हिमालय से पधारे परम तपस्वी बाल ब्रह्मचारी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत में सनातन शब्द का ज़िक्र मिलता है। भागवत में विष्णु के लीलावतारों का वर्णन है। इसमें भक्तियोग और वैराग्य का भी ज़िक्र मिलता है। गीता के मुताबिक, वैदिक साहित्य का पांचवां अध्याय ईश्वर है और वही सनातन है। आत्मा को भी सनातन माना गया है। गीता के मुताबिक, ईश्वर और जीव दोनों ही सनातन हैं। सनातन आत्मा का सनातन ईश्वर की सेवा करना ही सनातन धर्म कहलाएगा। ईश्वर, मोक्ष और आत्मा को तत्व और ध्यान से जाना जा सकता है। इसका मूल सार पूजा, जप-तप, दान, सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा और यम-नियम हैं। सनातन धर्म को हिन्दू धर्म या वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म सबसे पुराना धार्मिक दर्शनशास्त्र है और यह मूल्यों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का वर्णन करता है जो ब्रह्मांड के निर्माता ने प्रतिष्ठापित की हैं। इनका पालन सभी को, जीवित या निर्जीव, मनुष्य को भी, करना है। सनातन धर्म के शास्त्र ‘वेद’ विश्व के सबसे पुराने लिखित ग्रंथ हैं जो कम से कम 7500 ईसा पूर्व वर्ष के हैं।धर्म शब्द का उल्लेख ऋग्वेद में है जो सृजित प्राणियों खासतौर पर ब्रह्मांडीय (जैसे सूर्य) के लिए उपयोग किया गया था कि उनको निर्धारित पद्धति के अनुसार ही चलना है। यह धारणा थी कि अगर वह उस निर्धारित पद्धति के अनुसार नहीं चलेंगे तो वो कई प्रकार की आपदाओं और कष्टों के लिए जिम्मेदार होंगे।धर्म शब्द का उपयोग मानवों के लिए उनके प्राकृतिक, धार्मिक, सामाजिक व नैतिक क्षेत्र में किया गया कि उनको मूल्यों,कर्तव्यों व जिम्मेदारियों, अधिकारों, कानूनों, चरित्र, गुणों , सही तरीके से रहना, नीतिपरायणता की पद्धति का अनुसरण करना है। धर्म सार्वभौमिक है और यह सभी मानवों पर लागू होता है।इस मौके पर योगी बिजेंद्र नाथ जी, संत चंन्द़शेखर अघोरी जी, मुकेश शास्त्री, अक्षयानंन्द जी,लल्लन राय, शंकरदयाल राय, जि०पं०प़० रबींद्र राय, पकालू राय, डा० रमेश राय, आनंन्द पहलवान, गनेश राय, अमरनाथ राय,धनंजय राय, कृष्णानंद उपाध्याय, मिथिलेश राय मुन्ना,डब्बू राय, विनित राय सहित काफी संख्या में क्षेत्रवासी श्रद्धालु शामिल रहे।
