‘चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के अन्तर्गत बबेड़ी ग्राम में स्थित साईंग्रेस प्ले स्कूल के सभागार में एक सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ कवि कामेश्वर द्विवेदी एवं संचालन सुपरिचित नवगीतकार डॉ.अक्षय पाण्डेय ने किया। आगंतुकों का स्वागत विद्यालय के प्रबन्धक आशुतोष श्रीवास्तव ने किया। गोष्ठी का शुभारंभ कवयित्री शालिनी श्रीवास्तव की वाणी-वंदना एवं संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी के सस्वर गीत गायन से हुआ। समकालीन कविता के सशक्त युवा कवि डॉ.सन्तोष कुमार तिवारी ने “कोने बैठी बूढ़ी दादी/देख रही पोतों के नखरे” सुनाकर श्रोताओं को परिवार में वृद्धों की दशा पर सोचने के लिए विवश किया। कवयित्री शालिनी श्रीवास्तव ने “नीर का घट मुझे दिखला दो जरा/प्यासे कंठ को पानी पिला दो जरा” सुनाकर वर्तमान जल-संकट एवं संरक्षण की ओर सबका ध्यान आकृष्ट किया। युवा शायर गोपाल गौरव ने अपनी ग़ज़ल “कोई पूछे ज़रा यह क्या दिवान लेके आया है/ओ अपने साथ अश्कों का ख़ज़ाना लेके आया है” सुना कर खूब वाहवाही लूटी। इसी क्रम में आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी सशक्त व्यंग्य- कविता ‘मैं वरिष्ठ समाजसेवी’ सुना कर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया। युवा नवगीतकार डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने देश की वर्तमान राजनीति दशा-दिशा को केंद्र में रखते हुए अपना नवगीत “हाथ में तलवार फिर पकड़ा गई हमको/यह सियासत कहाॅं लेकर आ गई हमको” सुना कर श्रोताओं को तालियाॅं बजाने के लिए विवश किया। संस्था के संस्थापक एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ने ‘चेतना-प्रवाह’के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए अपनी चर्चित व्यंग्य-कविता ‘जाऊॅं विदेश तो किस देश’ की पंक्तियां “यहीं करूॅंगा राजनीति का करोबार/देश में अपने अच्छा चलेगा यह व्यापार” सुनाकर खूब प्रशंसा अर्जित की।कवि संजय कुमार पाण्डेय ने अपने गीत”तू मेरे जन्मों का साथी/फिर मनवा काहें डोले”का सस्वर पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। समकालीन कविता की श्रेष्ठ कवयित्री पूजा राय ने जल-संरक्षण को केंद्र में रखकर “हम पानी बचा सकते हैं/हम इंसान को भी बचा सकते हैं” कविता सुनाया।कवि कन्हैया लाल गुप्त ने अपनी कविता”बेटियों से कभी न कहना/क्या पढ़ोगी जाने दो”का वाचन कर नारी-विमर्श के प्रति श्रोताओं का ध्यान आकृष्ट किया।इसी क्रम में हास्य-व्यंग्य के वरिष्ठ कवि विजय कुमार मधुरेश ने अपने मुक्तक “डर चमन से नहीं है बहारों से है/तूफाॅं से नहीं डर किनारों से है” सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।ओज के वरिष्ठ कवि दिनेश चंद्र शर्मा ने अपनी कविता “लेगा जमाना खून के एक-एक बूंद का बदला/कातिल को कत्लेआम से थकने तो दीजिए”सुनाकर श्रोताओं में ओजत्व भर दिया।नगर के वरिष्ठ महाकाव्यकार एवं इस कविगोष्ठी के अध्यक्ष कामेश्वर द्विवेदी ने सामाजिक विसंगतियों को ध्यान में रखते हुए “अधरों पे अमृत व गरल हृदय में है/हो गया है कठिन पहचान पाना आदमी” सुना कर खूब प्रशंसा पायी।इस सरस काव्यगोष्ठी में श्रोता के रूप में राजीव कुमार मिश्र, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, राघवेन्द्र ओझा, सिद्धार्थ श्रीवास्तव, आद्या राय, शशिकांत राय, विजय कुमार मिश्र, सुनील दत श्रीवास्तव, अन्नपूर्णा सिंह,राजीव कुमार मिश्र आदि उपस्थित रहे। अन्त में संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने आगंतुक कवियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।