गाजीपुर । मुहम्मदाबाद क्षेत्र के डिहवा गांव के दुर्गा मंदिर परिसर में चल रहे भागवत कथा में परम संत शिवराम दास उफऀ फलाहारी बाबा ने कथा में बताया कि जीवात्मा और परमात्मा के संबंध स्थापित होने का नाम ही विवाह है। स्थापित तो है ही जिस दिन ज्ञापित हो जाता है उसी दिन जीव का विवाह ब्रह्म से हो जाता है। बुद्धि रुपी कन्या और ब्रह्म रूपी वर के संयोग से सत्संग के देखरेख में विवेक रूपी पुत्र का जन्म होता है। जिससे आपके जीवन का भविष्य सज जाता है और संवर जाता है। जीवन में ऐसे पति का चुनाव करना है जो श्मशान के बाद की यात्रा में भी साथ दे सके ऐसे पति का नाम परमात्मा है। जीवात्मा स्त्रीलिंग शब्द है और परमात्मा पुल्लिंग शब्द है।हम सब जीव कन्या हैं। यदि ब्रह्म हमारा पाणी ग्रहण कर ले तो हमारा जीवन कृत्य कृत्य हो जाए। कबीर दास ने 80 वर्ष की उम्र में लिखा कि मैं तो राम की दुल्हनिया बन गई रे। वेदव्यास तुलसी कबीर और और मीरा की रचना प्रैक्टिकल पहले हुआ बाद में थ्योरी लिखी गयी इसीलिए आज सभी श्रोता और वक्ता के हृदय को स्पर्श करता है। अपार जन समूह के मध्य भव्य कथा मंच पर श्री फलाहरी बाबा के मुखारविंद से रुक्मिणी मंगल की कथा सुनकर और देखकर समस्त श्रोता झूम उठे। केवल डिहवां गांव के ही नहीं बल्कि क्षेत्र के लोग भी कथा में बैठकर श्रोत्र और नेत्र दोनों सफल कर रहे हैं। सत्संग कथा के अलभ्य लाभ से अपने आप सौभाग्यशाली मानकर लाभान्वित हो रहे हैं।