गाजीपुर । भांवरकोल क्षेत्र के शेरपुर खुर्द गांव मे पारस पांडेय के दरवाजे पर चल रहे भागवत कथा में कथावाचक ज्योतिष प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि बुद्धि रूपी कन्या का विवाह ब्रह्म रूपी वर के हाथ में नहीं हो जाता तब तक जीवन सफल नहीं होता है। कुब्जा बुद्धि है जब तक कंस रूपी अहंकार की दासी थी तब तक वह त्रिवक्रा थी। तीन जगह से टेढ़ी यानी काम क्रोध लोभ से युक्त तीन दोस के कारण जीव कुरूप लगता है बुद्धि के पिता सदगुरु और पति परमात्मा होते हैं। पत्नी का अर्थ तेजस्विता शक्ति और पूर्णता होता है। कहा जीव को दूसरे के थन के लिए यज्ञ नहीं करना चाहिए। सुख दुख में समान भाव से रहना चाहिए। यदि राजा में प़जा के प्रति सेवा भाव नहीं है तो उसे उसका पुण्य फल नहीं मिलता।कहा स्त्री को पवित्रता का भाव रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पवित्र दांपत्य जीवन रेल की पटरी की भांति होता है दोनों पटरी में से एक भी आप या डाउन हो गई तो जीवन रूपी रेल कब एक्सीडेंट कर जाती है कुछ कहा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि यदि जब ईश्वर की जीव पर कृपा होती है तो मनुष्य सभी प्रकार के बन्धन से मुक्त हो जाता है। कहा कि यदि सच्चे मन से संत की सेवा एवं सत्संग करने का अवसर मिले तो उसे ईश्वर की प्राप्ति अवश्य होती है।इस मौके पर पारस नाथ पांडेय,कमलदेव पांडेय, पम्मू पांडेय, माखन पांडेय सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।